नवरात्रि के सातवें दिन की माँ कालरात्रि माता की पूजा करने का शुभ समय, विधि, मंत्र और आरती|

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# माँ कालरात्रि माता कौन है?

कालरात्रि अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं. यह काल से भी रक्षा करने वाली देवी हैं. माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं| इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है| कालरात्रि की पूजा नवरात्र के सातवें दिन की जाती है, यह रूप मां दुर्गा का सबसे विकराल रूप है| दुर्गा माँ का यह रूप सभी राक्षसों नकारात्मक ऊर्जाओं और भूतों का नाश करता है| देवी मां देवी कालरात्रि माँ का विकराल रूप होने का है उन्हें शुंभकरी माता भी कहा जाता है| देवी माँ का यह रूप सबसे हिंसक और उग्र है|माँ कालरात्रि माता को चार हाथों से दिखाया जाता है| उनका रंग काला है और उनका वाहन गधा है|कालरात्रि माँ को और भी कई नाम से पुकारा जाता है- जैसे की चामुंडा, चंडी,भैरवी,महाकाली,काली यह सब उन्हीं का नाम है|

# माँ कालरात्रि की पूजा करने की विधि

सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर ले|

माँ कालरात्रि की प्रतिमा पर गंगाजल या शुद्ध से उन्हें स्नान कराएं,माँ को रोली कुमकुम लगाए,माँ को पांच प्रकार के फल अर्पित करें और मिष्ठान चढ़ाइए|

माँ कालरात्रि को शहद का भोग भी जरूर लगाए| आँख बंद करके माँ कालरात्रि का मन से ध्यान करें|

और मंत्र का जाप करें अंत में आरती भी करें| ऐसा करने से मां आपकी सारी समस्याओं को दूर कर देंगी|

# माँ कालरात्रि के मंत्र

1.’ ॐ कालरात्र्यै नमः’

2.’ॐ हीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा’

# माँ कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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